Friday 20 April 2018

जानिए क्या है महाभियोग,क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया ? क्यों लाया जा रहा है CJI के खिलाफ महाभियोग



संदीप कुमार मिश्र: किसी राष्ट्र के संवैधानिक पद की गरीमा बनी रहे और पद का दुरुपयोग ना हो इसलिहाज से मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति को ही हटाने के लिए महाभियोग लाया जा सकता है।आईए जानते हैं कि देश में अचानक कैसे महाभियोग की चर्चा होने लगी।

दरअसल हमारे देश के मुख्य न्यायाधीश है श्री दीपक मिश्रा जी। जिनके खिलाफ विपक्ष जिसमें कई पार्टियां शामिल हैं मुख्य तौर पर कांग्रेस की अगुवाई में महाभियोग प्रस्ताव लाने की चैयारी में है।जिसके लिए कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू से मिलकर एक प्रस्ताव सौंपा है। यहां ये जानना जरुरी है कि महाभियोग की जो प्रक्रिया है वो काफी जटिल और लंबी।जैसा कि देखने में भी आ रहा है कि पूरा विपक्ष भी कहीं ना कहीं इसके खिलाफ फिलहाल एकमत होता नजर नहीं आ रहा है,लेकिन हां देश में सियासत जरुर गर्म हो गई है।

एक बात तो मानना पड़ेगा कि हमारे देस के सियासदां अपनी राजनीति चमकाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं....चलिए फिलहाल जानते हैं कि महाभियोग की क्या है पूरा प्रक्रिया- 

आखिर क्‍या है महाभियोग ?
हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को हटाने के लिए महाभियोग लाया जाता है।  इसी प्रावधान के जरिये देश के राष्‍ट्रपति को भी हटाया जा सकता है। महाभियोग का जटिल  प्रस्‍ताव ऐसे समय में लाया जाता है जब लगता है कि शीर्ष पदों पर बैठे लोग संविधान के दायरे में रहकर काम नहीं कर रहे हैं या फिर उसका उल्‍लघंन कर रहे हों। ऐसा करने या होने पर महाभियोग का प्रस्‍ताव संसद के दोने सदनो में से किसी भी सदन में लाने का प्रावधान है।आपको बता दें कि महाभियोग का जिक्र संविधान के अनुच्‍छेद 62, 124 (4), (5), 217 और 218 में स्पष्टतौर पर किया गया है।

जाने महाभियोग की क्या है प्रक्रिया
वास्तव में महाभियोग प्रस्‍ताव की प्रकिया बेहद जटिल मानी जाती है।यदि लोकसभा में इस प्रस्‍ताव को लाना हो तो 100 सांसदों के हस्‍ताक्षर होने चाहिए और यदि राज्‍यसभा में इसे लाना हो तो 50 सांसदों के हस्‍ताक्षर चाहिए होते हैं।जब इसे सदन में पेश किया जाता है तो इस पर सदन के अध्यक्ष फैसला लेते हैं वो चाहें तो इसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं और खारिज भी कर सकते हैं।
ऐसे में यदि सदन के अध्‍यक्ष महाभि‍योग के प्रस्‍ताव को स्‍वीकार लेते हैं तो तीन सदस्‍यों की एक कमेटी उन आरोपों की जांच करती है जो जजों पर लगायी गई है। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक जज, हाई कोर्ट के एक चीफ जस्‍ट‍िस और कोई एक अन्‍य व्‍यक्‍ति को शामिल किया जाता है।

जब जांच कमेटी आरोपों को सही पाती है तो ही महाभियोग प्रस्ताव पर संसद में गर्मागर्म बहस होती है।और फिर संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से प्रस्‍ताव का पारित होना जरूरी हो जाता है।जब दोनों सदनों में ये प्रस्ताव पारित हो जाता है तो इसे अंत में राष्ट्रपति के पास मंज़ूरी के लिए भेजा जाता है।ये जानना भी बेहद दिलचस्प है कि किसी भी जज को हटाने का निर्णय, अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास ही सुरक्षित है।

इस प्रकार से हम देखते हैं कि महाभियोग की प्रक्रिया बेहद जटिल है जिसका परिणाम है कि आज तक महाभियोग से देश में कोई भी जज आज तक हटाए नहीं गए हैं।

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