Saturday 3 February 2018

जानिए कर्पूरगौरं मंत्र का अर्थ और आरती के बाद क्यों बोलते हैं कर्पूरगौरं मंत्र...!



संदीप कुमार मिश्र: सनातन संस्कृति में ईश्वर की साधना,आराधना और भक्ति की महत्ता बताई गई है।33 कोटी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना का विधान हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है।और ऐसे भी मन की शांति के लिए प्रार्थना की आवश्यकता सभी धर्मों में बताई गई है।
अक्सर हम जब मंदिर में जाते हैं या घर में पूजा करते हैं तो देखते हैं कि पूजा के अंत में आरती की जाती है और उसके बाद कर्पूरगौरं मंत्र.... मंत्र विशेष रूप से बोला जाता है lआईए जानते हैं क्या है इस मंत्र का अर्थ और क्या है इसकी महत्ता:
कर्पूरगौरं मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
कर्पूरगौरं मंत्र  का अर्थ
इस मंत्र से शिवजी की स्तुति की जाती है। इसका अर्थ इस प्रकार है-
कर्पूरगौरं- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले।करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं।संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार हैं।भुजगेंद्रहारम्- इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं। सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है।
कहने का भाव है कि-जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।

कर्पूरगौरं मंत्र ही क्यों...?
दरअसल हमारे धर्म शास्त्रों में कर्पूरगौरम् करुणावतारं….मंत्र बोले जाने के पीछे गूढ़ रहस्य बताये गए हैं। आदिदेव महादेव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय स्वयं भगवान विष्णु जी के द्वारा गाई गई है, ऐसा कहा जाता है।कहते हैं कि भगवान शिव सबसे निराले हैं,भोलेभंडारी हैं, शमशान वासी हैं, उनका स्वरुप बहुत भयंकर और अघोरी वाला है। लेकिन इस स्तुति में भगवान शिव के स्वरुप को भव्य और दिव्य बताया गया है।

आदिदेव महादेव शिव जी को संपूर्ण सृष्टि का अधिपति कहा गया है,शिव मृत्युलोक के देवता हैं, उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, पशुपति का अर्थ है कि संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित), उन सब का अधिपति यानी स्वामी।

इस स्तुति को पूजा के अंत में इसीलिए गाया जाता है कि जो इस समस्त संसार के अधिपति है, वो हमारे आपके मन में वास करे।क्योंकि शिव साक्षात श्मशान वासी हैं, मृत्यु के भय को दूर करने वाले हैं।वो सदाशिव हमारे मन में वास करें,और हमारे मन में व्याप्त  मृत्यु के भय को दूर करें।
!! ऊं नम: शिवाय !!


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