Thursday 7 December 2017

जाने कैसे सूर्य देव की उपासना से होगी सर्वमनोकामना सिद्ध ?

संदीप कुमार मिश्र: भगवान भास्कर यानी सूर्य देव साक्षात ईश्वर है।जो संपूर्ण चराचर जगत को प्राणवायु प्रदान करते हैं। सनातन हिन्दू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि भगवान सूर्य संपूर्ण ब्रह्मांड की आत्मा है। सूर्यदेव को हमारे हिन्दू धर्म पंचदेवों में सबसे सर्वोपरि बताया गया है। भगवान भास्कर की उपासना से मनुष्य को सुख,स्वास्थ्य,और संपन्नता प्राप्त होती है।इतना ही नहीं प्रतिदिन प्रात: सूर्य देव को जल देने और पूजा करने से शरीर में उत्साहजन उर्जा का प्रवाह होता है।आपको बता दें कि रविवार को सूर्य भगवान की पूजा करने से मनुष्य की मनचाही मुराद पूरी हो जाती है।भगवान सूर्य की पूजा करना विशेष फलदायी है।
सूर्य पूजा के प्रत्यक्ष लाभ
भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना से साधक हर प्रकार की कठिनाओं से पार पा लेता है। सूर्यदेव की की पूजा से साधक में निडरता आती है,मनुष्य परोपकारी बनता है,मनुष्य की वाणी मधुर होने के साथ ही विद्वता और बुद्धिमत्ता की वृद्धि होती है। सूर्यदेव की साधना से संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है और व्यक्ति के मन से क्रोध,मोह, लोभ और अंहकार, का नाश होता है
जाने कैसे करें सूर्यदेव की पूजा-अर्चना
जीवन में सुख स्वास्थ्य और संपन्नता प्राप्ति के लिए नित्य प्रात: सूर्योदय होते ही सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए।रविवार को खासकर सूयदेव के मंत्रों से सूर्यदेव का जाप करना चाहिए। पूजा करने के लिए प्रात: नित्य क्रम से निवृत होकर स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए और सूर्य देव को प्रणाम करना चाहिए।ततपश्चात तांबे के पात्र में शुद्धजल लेकर नवग्रह मंदिर में जाकर सूर्यदेव को लाल चंदन का लेप, कुकुंम, चमेली और कनेर के फूल अर्पित करना चाहिए।
क्रमश: सूर्यदेव की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्जवलित कर, मन में सफलता और यश की कामना करने के साथ ही "ऊं सूर्याय नम:"मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को पवित्र जल चढ़ाने के बाद जमीन पर माथा टेककर निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए-
ऊँ खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे। निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्। भूर्भुव: स्वस्त्वमोड्कार: सर्वो रूद्र: सनातन:।।

और फिर सूर्य देव के मंदिर में पूजा आरती कर प्रसाद चढ़ाना चाहिए।इस प्रकार नित्य करने से आप स्वयं अपने मन मस्तिष्क और विचारों में बदलाव महसूस करेंगे।

।।"ऊं सूर्याय नम:"।।

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