Monday 16 October 2017

Dhanteras 2017: धनतेरस पर चमकेगी किस्मत,करें इस विधि से पूजा

संदीप कुमार मिश्र:  शुभ दिवाली से पहले हमारे सनातन धर्म में धनतेरस पर विशेष  पूजा अर्चना और खरीदारी की जाती है।जिसका कि विशेष महत्व होता है,धनतेरस के दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाती है।धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है।कहते हैं कि धनतेरस के दिन ही आरोग्य के देवता भगवान धनवन्‍तरी का जन्‍म हुआ था जो कि समुन्‍द्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे।इसीलिए भगवान धनवन्‍तरी को औषधी का जनक भी कहा जाता है। धनतेरस के दिन बाजारों में रौनक देखते ही बनती है।इस दिन सोने-चांदी और अपनी जेब के लिहाज से लोग खुब खरीदारी करते हैं।हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से सोई किस्मत भी चमक जाती है।
 जाने कब की जाती है धनतेरस की पूजा
हमारे हिंदू पंचांग और धर्म के अनुसार धनतेरस का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन यानि दिपावली के दो दिन पहले बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।दरअसल धन का भाव समृद्धि से है और तेरस का मतलब तेरहवां दिन होता है। धनतेरस यानी अपने धन को तेरह गुणा बढाने और उसमें वृद्धि करने का द‌िन ही धनतेरस कहलाता है।व्यापारियों के लिए धनतेरस का विशेष महत्व होता है, क्योंकि कहते हैं कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा से सुख,समृद्धि, खुशियां और सफलता मिलती है।

जानिए धनतेरस के दिन कब करें खरीदारी और कब है शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त धनतेरस वाले दिन शाम 7.19 बजे से 8.17 बजे तक का है।
कब करें किस चीज की खरीदारी-
काल- सुबह 7.33 बजे तक दवा और खाद्यान्न.
शुभ- सुबह 9.13 बजे तक वाहन, मशीन, कपड़ा, शेयर और घरेलू सामान.
चर- 14.12 बजे तक गाड़ी, गतिमान वस्तु और गैजेट.
लाभ- 15.51 बजे तक लाभ कमाने वाली मशीन, औजार, कंप्यूटर और शेयर.
अमृत- 17.31 बजे तक जेवर, बर्तन, खिलौना, कपड़ा और स्टेशनरी.
काल- 19.11 बजे तक घरेलू सामान, खाद्यान्न और दवा.
जाने धनतेरस की पूजा विधि
धनतेरस के दिन सबसे पहले मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि भगवानजी की फोटो स्थापित करें। चांदी या तांबे की आचमनी से जल का आचमन करें।भगवान गणेश का ध्यान और पूजन करें। हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें।इसके बाद निम्न मंत्र का जाप करें-

देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि...
इस प्रकार भगवान धन्वंतरि की पूजा को संपन्न करें।आरती गाएं और घर परिवार समाज में सुख संबृद्दि की कामना करें।संबोधन की तरफ से आप सभी को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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