Tuesday 27 September 2016

सुषमा की दहाड़,नवाज को धोबी पछाड़

अध्यक्ष जी, जिनके घर शीशे के हुआ करते हैं वो दुसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा, उसे छीनने का ख्वाब छोड़ दे पाकिस्तान।सुषमा स्वराज

संदीप कुमार मिश्र : पाकिस्तान विश्व समुदाय के लिए एक ऐसा घिनौना फोड़ा(घाव,नासूर) बन गया है,जिसे निगलना भी मुश्किल है और उगलना भी।ये बात हम (भारत)से बेहतर भला कौन जान सकता है।पड़ोसी बदलना जो मुश्किल है! खैर पड़ोसी बदल नहीं सकते,लेकिन उसका इलाज जरुर कर सकते हैं।सवा सौ करोड़ का देश भारत आखिर कब तक अपने पड़ोसी पाक की छिछोरी,ओछी और शर्मनाक हरकत को बर्दास्त करता रहेगा।आखिर कब तक पाक के पालतु आतंकी भारत में खून खराबा करते रहेंगे,कब तक मानवता यूं ही तार-तार होती रहेगी।जवाब तो बनता ही था वो भी तब जब पाक अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देने के लिए आतंकीयों को भेज हमारे कश्मीर के उड़ी में सेना कैंप पर हमला करवाता है जिसमें हमारे 18 जवान शहीद हो जाते हैं।जवाब तो गोले और जुबान दोनो से बनता है।
दरअसल संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र को संबोधित करते हुए हमारे देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान तबियत से धो डाला और मियां शरीफ की हर बात का करारा जवाब दिया।आतंकवाद पर पाक की पोल खोलते हुए सुषमा जी ने कहा कि आतंकवाद को पालने-पोसने और उसका निर्यात करने वाले देशों की पहचान होनी चाहिए और उन्हें अलग-थलग किया जाना चाहिए। आतंकवाद का खात्मा मुश्किल काम नहीं है, इसके लिए दुनिया के देशों को दृढ़-इच्छाशक्ति दिखानी होगी।
सुषमा जी ने पाक पर चुटकी भी ली और कहा कि  हमारे बीच ऐसे देश हैं जहां संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकवादी स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं और दंड के भय के बिना जहरीले प्रवचन दे रहे हैं (मुम्बई आतंकी हमले के गुनहगार जमात उद दावा का प्रमुख हाफिज सईद)सुषमा जी यहीं नहीं रुकीं आगे कहा किजम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा और पाकिस्तान उसे छीनने का ख्वाब देखना छोड दे। ऐसे देशों को अलग-थलग कर देना चाहिए जो आतंकवाद की भाषा बोलते हों और जिनके लिए आतंकवाद को प्रश्रय देना उनका अचरण बन गया हो।
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए पहली बार सुषमा स्वराज जी ने बड़े कड़े शब्दों में कहा कि, दुनिया में ऐसे देश हैं जो बोते भी हैं तो आतंकवाद, उगाते भी हैं तो आतंकवाद, बेचते हैं तो भी आतंकवाद और निर्यात भी करते हैं तो आतंकवाद का। आतंकवादियों को पालना उनका शौक बन गया है। ऐसे शौकीन देशों की पहचान करके उनकी जबावदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए। हमें उन देशों को भी चिन्हित करना चाहिए जहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी सरेआम जलसे कर रहे हैं, प्रदर्शन निकालते हैं, जहर उगलते हैं और उनके पर कोई कार्यवाही नहीं होती। इसके लिए उन आतंकवादियों के साथ वे देश भी दोषी हैं जो उन्हें ऐसा करने देते हैं। ऐसे देशों की विश्व समुदाय में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार विश्व समुदाय से सुषमा जी ने आह्वान किया कि ऐसे देसों को अलग थलग किया जाए।
17 मिनट के अपने भाषण में सुषमा जी ने आगे कहा कि केवल इच्छाशक्ति की कमी है। ये काम हो सकता है, और ये काम हमें करना है, नहीं करेंगे तो हमारी आने वाली पीढियां हमें माफ नहीं करेंगी। हां, यदि कोई देश इस तरह की रणनीति में शामिल नहीं होना चाहता तो फिर उसे अलग-थलग कर दें। उन्होंने कहा, ‘इतिहास गवाह है कि जिन्होंने अतिवादी विचारधारा के बीज बोए हैं उन्हें ही उसका कड़वा फल मिला है। आज उस आतंकवाद ने एक राक्षस का रूप धारण कर लिया है, जिसके अनगिनत हाथ हैं, अनगिनत पांव और अनगिनत दिमाग और साथ में अति आधुनिक तकनीक। इसलिए अब अपना या पराया, मेरा या दूसरे का, आतंकवादी कहकर हम इस जंग को नहीं जीत पाएंगे। पता नहीं यह दैत्य किस समय किस तरफ का रुख कर ले।
विदेश मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी पर शुरुआत से ही अशांति और हिंसा का साया रहा है। परंतु मिलजुल कर प्रयास करने से हम इसे मानव सभ्यता के इतिहास में एक स्वर्णिम युग में बदल सकते हैं। लेकिन भविष्य में क्या होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम आज क्या करते हैं। भारत समेत दुनिया भर में आतंकवाद की समस्या का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने हम पर भी उरी में इन्हीं आतंकी ताकतों ने हमला किया था। विश्व इस अभिशाप से बहुत समय से जूझ रहा है। लेकिन, आतंकवाद का शिकार हुए मासूमों के खून और आसुओं के बावजूद, इस वर्ष काबुल, ढाका, इस्तांबुल, मोगादिशू, ब्रसेल्स, बैंकॉक, पेरिस, पठानकोट और उरी में हुए आतंकवादी हमले और सीरिया और इराक में रोजमर्रा की बर्बर त्रासदियां हमें ये याद दिलाती हैं कि हम इसे रोकने में सफल नहीं हुए हैं।जिसे रोकना जरुरी है।
कश्मीर को लेकर भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का निराधार आरोपलगने के लिए सुषमा जी ने नवाज शरीफ पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, 21 तारीख को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इसी मंच से मेरे देश में मानवाधिकार उल्लंघन के निराधार आरोप लगाए थे। मैं केवल यह कहना चाहूंगी कि दूसरों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले जरा अपने घर में झांककर देख लें कि बलूचिस्तान में क्या हो रहा है और वे खुद वहां क्या कर रहे हैं। बलूचियों पर होने वाले अत्याचार तो यातना की पराकाष्ठा है।
भारत पर बातचीत के लिए पूर्व शर्त लगाने के पाकिस्तान के दावे को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद के साथ किसी शर्त के आधार पर नहीं बल्कि दोस्ती के आधार पर बातचीत शुरू की लेकिन इसके बदले पठानकोट मिला, उरी पर आतंकी हमले के रूप में बदला मिला विदेश मंत्री ने कहा, दूसरी बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कही कि बातचीत के लिए जो शर्त भारत लगा रहा है, वो हमें मंजूर नहीं है। कौन सी शर्तें? क्या हमने कोई शर्त खकर न्यौता दिया था शपथ ग्रहण समारोह में आने का? जब मैं इस्लामाबाद गई थी, हर्ट ऑफ एशिया कांफ्रेंस के लिए, तो क्या हमने कोई शर्त रखकर समग्र वार्ता शुरू की थी?’
सुषमा जी ने आगे कहा कि , जब प्रधानमंत्री मोदी काबुल से चलकर लाहौर पहुंचे थे तो क्या किसी शर्त के साथ गए थे? किस शर्त की बात हो रही है? सुषमा ने कहा, हमने शर्तों के आधार पर नहीं बल्कि मित्रता के आधार पर सभी आपसी विवादों को सुलझाने की पहल की और दो साल तक मित्रता का वो पैमाना खड़ा किया जो आज से पहले कभी नहीं हुआ। ईद की मुबारकबाद, क्रिकेट की शुभकामनाएं, स्वास्थ्य की कुशलक्षेम, क्या ये सब शर्तों के साथ होता था?’

अंतत: विश्व पटल पर इस प्रकार से आतंकवाद और पाकिस्तान की दोगली नीति और नियत को नंगा कर निश्चिततौर पर सुषमा जी ने सबको ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर आतंकियों को कौन पालता है,कौन शरण देता है,आखिर विश्व में पाकिस्तान ही क्यो ऐसा इकलौता देश है जहां आतंकी आकर छुपते हैं या पाक के आतंकी विश्वभर में आतंक फैलाते हैं।जरुरत है मानवता की रक्षा करने की,और पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित कर कड़ी कार्यवाही करने की। 



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