Saturday 10 September 2016

गणेश चतुर्थी विशेष:गणपति बप्पा मोरया

  ।।वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
संदीप कुमार मिश्र: देश भर में गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है।इस खास महोत्सव में बप्पा की भक्ती हर आमो खास डूबा हुआ नजर आता है।क्या मंदिर,क्या घर।हर भक्त भगवान गणेश की आराधना में रमा हुआ नजर आता है।पूरे सालभर में पड़ने वाली चतुर्थियों में गणेश चतुर्थी को सबसे बड़ी चतुर्थी माना जाता है।इस खास अवसर पर 'बप्‍पा' के भक्‍त गणपति को अपने घर में लाने के लिए पूरी श्रद्धा से साल भर इंतजार करते हैं।वैसे तो साल भर में पड़ने वाली किसी भी चतुर्थी को भगवान गणेश का का पूजन और उपासना करने से घर में संपन्‍नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन का समावेश होता है।लेकिन शास्त्रों में गणेश चतुर्थी के दिन किए गए व्रत और पूजन का विशेष महत्व बताया गया है।
बप्पा की पूजा घर पर कैसे करें ?
कहते हैं गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को घर लाना सबसे पवित्र समझा जाता है।जब आप बप्‍पा की मूर्ति को घर लाएं, उससे पहले इन चीजों को तैयार रखें। अगरबत्‍ती और धूप, आरती थाली, सुपारी, पान के पत्‍ते और मूर्ति पर डालने के लिए कपड़ा, चंदन के लिए अलग से कपड़ा और चंदन।
भगवान गणेश की मूर्ति पूजा करने के लिए सबसे पहले एक आरती की थाली में अगरबत्‍ती-धूप को जलाएं। इसके बाद पान के पत्‍ते और सुपारी को भी इसमें रखें। इस दौरान मंत्र ' ऊं गं गणपतये नम:' का जाप करें। जो श्रद्धालु गणेश जी की मूर्ति को चतुर्थी से पहले अपने घर ला रहे हैं, उन्‍हें मूर्ति को एक कपड़े से ढककर लाना चाहिए और पूजा के दिन मूर्ति स्‍थापना के समय ही इसे हटाना चाहिए। घर में मूर्ति के प्रवेश से पहले इस पर अक्षत जरूर डालना चाहिए। स्‍थापना के समय भी अक्षत को आसन के निकट डालना चाहिए। साथ ही, वहां सुपारी, हल्‍दी, कुमकुम और दक्षिणा भी वहां रखना चाहिए।
पूजा के लिए जरूरी सामग्री
गणपति की मूर्ति को घर में स्‍थापित करने के समय सभी विधि विधान के अलावा जिन सामग्री की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं- जैसे लाल फूल, दूर्वा, मोदक, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्‍ती।
गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म मूहर्त में उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर शुद्ध कपड़े पहनें। आज के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना अति शुभ होता है। गणपति का पूजन शुद्ध आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ करके करें।
पंचामृत से श्री गणेश भगवान को स्नान कराएं तत्पश्चात केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती करें। उनको मोदक के लड्डू अर्पित करें। उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। श्री गणेश जी का श्री स्वरूप ईशाण कोण में स्थापित करें और उनका श्री मुख पश्चिम की ओर रहे।
संध्या के समय गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें। अंत में गणेश मंत्र ' ऊं गणेशाय नम:' अथवा 'ऊं गं गणपतये नम: का अपनी श्रद्धा के अनुसार जाप करें।
गणेश चतुर्थी के दिन किया जाने वाला विशेष काम
भगवान गणेश अपने भक्तों के समस्त विघ्नों को दूर करने के लिए विघ्नों के मार्ग में विकट स्वरूप धारण करके खड़े हो जाते हैं। अपने घर, दुकान, फैक्टरी आदि के मुख्य द्वार के ऊपर तथा ठीक उसकी पीठ पर अंदर की ओर गणेश जी का स्वरूप अथवा चि‍‍त्रपट जरूर लगाएं। ऐसा करने से गणेश जी कभी भी आपके घर, दुकान अथवा फैक्टरी की दहलीज पार नहीं करेंगे तथा सदैव सुख-समृद्धि बनी रहेगी। कोई भी नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाएगी।  
अपने दोनों हाथ जोड़कर श्रद्धालूओं को स्थापना स्थल के समीप नित्य पूजा पाठ अवश्य करनी चाहिए। सच्‍चे मन और शुद्ध भाव से गणपति की पूजा करने से बुद्धि, स्‍वास्‍थ्‍य और संपत्ति मिलती है।
।भगवान श्री गणेश आप सब का कल्याण करें।गणपति बप्पा मोरया।

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