Friday 15 January 2016

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से खुशहाल होगा किसान


संदीप कुमार मिश्र:  21 वीं सदी के भारत में विकास की गती को लगातार बल मिल रहा है।येश का यूवा अपने भविष्य के प्रति सजग और सचेत नजर आ रहा है।केंद्र सरकार की कुछ योजनाएं भी देश को आगे बढ़ाने में सकारात्मक पहल कर रही है।लेकिन विकास की इस अंधी दौड़ में जो सबसे पीछे छुट जा रहा है वो है हमारा अन्नदाता यानि किसान...।जिसे हर समय किसी ना किसी रुप में नुकसान का सामना करना ही पड़ता है।कभी प्रकृति साथ नहीं देती तो कभी अकाल और कभी कर्ज..।
हालात ऐसे कि किसानो की आत्महत्या करने की घटनाएं अखबारों की लगातार सुर्खियां बनती रहती है।उनकी सूध लेने वाला कोई नहीं।अब आप इस बात का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि देश को आजाद हुए छ: दशक से ज्यादा हो गए लेकिन जो किसान देश भर के लिए अन्न पैदा करता है...पेट भरता है,उसे इतने सालों में मिलता है तो फुड सिक्योरिटी बिल...।तकलिफ तभी ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि आजादी के इतने सालों बाद भी उन्हें भर पेट खाने के लिए हम फुड सिक्योरिटी दे रहे हैं...।बेहद अफसोस..।
खैर सत्ता बदली तो अच्छे दिन की उम्मीद देस का हर तबका लगा बैठा।उम्मीदों की इस श्रेणी में हमारे किसान भाई भी थे।जिनकी परेशानियों को समझ कर पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री बीमा योजना की शुरुआत की। जिससे निस्संदेह किसानों के हालात सुधरने की उम्मीद बनी है।दरअसल जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों से फसल बर्बाद होने और कर्ज के बोझ तले दबे होने के कारण किसानों में खुदकुशी की प्रवृत्ति बढ़ रही थी, उसके मद्देनजर व्यावहारिक फसल बीमा की मांग लगातार हो रही थी। हालांकि फसल बीमा योजना पहले से लागू थी, पर उसमें बड़ी तकनीकी गड़बड़ियां और व्यावहारिकता की कमी थी,जिससे कम ही किसान आकर्षित हो पा रहे थे। 
पहले बीमा की प्रीमियम राशि फसल की अनुमानित कीमत के पंद्रह फीसद थी। मंझोले, छोटे और बंटाईदार किसानों के लिए यह राशि खासी बड़ी थी। इसका लाभ प्राय: वही किसान उठा पा रहे थे, जो थोड़े संपन्न हैं। फिर यह बीमा योजना केवल खड़ी फसल के लिए थी, मतलब अगर प्राकृतिक आपदा के चलते खड़ी फसल बर्बाद होती है, तभी इस बिमा के लिए दावा किया जा सकता था।
वहीं फसल बर्बाद होने का सही आकलन होने में कई तरह की दिक्कतें पेश आ रही थीं, जिनके चलते किसानों को समय से मुआवजा नहीं मिल पा रहा था।कुछ ऐसी ही अन्य भी परेशानीया थी,जिस वजह से किसान तकरीबन तेईस फीसद ही अपनी फसलों का बीमा करा पा रहे थे।
लेकिन अब नई फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है।जिससे ना सिर्फ बुआई से लेकर कटाई के बाद के नुकसानों की भरपाई की जाएगी, बल्कि इसकी प्रीमियम राशि भी घटा कर काफी कम कर दी गई है। 
अब किसानों को खरीफ फसल के लिए दो फीसद, रबी के लिए डेढ़ फीसद और कपास तथा बागवानी के लिए पांच फीसद प्रीमियम देना होगा। बाकी रकम सरकार भरेगी। मतलब फसल बर्बाद होने पर बीमित फसल के नुकसान का पच्चीस फीसद भुगतान तुरंत किसान के खाते में पहुंच जाएगा और बाकी रकम अधिकतम नब्बे दिनों के भीतर उसे प्राप्त हो जाएगी।आपको बता दें कि नई फसल योजना इसी वर्ष खरीफ फसल से लागू हो जाएगी।माना जा रहा है कि इस योजना से पचास प्रतिशत तक फसलों को बीमा के दायरे में लाया जा सकेगा।
अब जरुरत है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का ठीक से प्रचार-प्रसार किया जाए,जिससे कि इसका भरपूर लाभ किसान भाई उठा पाएं।अब इस योजना की प्रीमियम राशि कम होने से मंझोले किसान भी अपनी फसलों का बीमा कराने को प्रेरित हो सकेंगे। ऐसे तो इस योजना को अत्याधुनिक तकनीक से जोड़ने का प्लान तैयार किया गया है,लेकिन इसकी पूर्ण सफलता इस बात पर निर्भर होगी कि फसलों के नुकसान का आकलन बीमा कंपनियां कितनी पारदर्शिता से करती हैं।
क्योंकि अक्सर देखा गया है कि सरकारी कर्मचारियों का रवैया पक्षपातपूर्ण ही रहा है। फसलों के बीमा के मामले में भी अगर उनका यही रवैया रहा तो किसानों को पहले की तरह निराशा ही हाथ लगेगी। हालांकि सरकार ने प्राकृतिक आपदा के आकलन के लिए दूरसंवेदी यंत्र के इस्तेमाल की भी रूपरेखा तय की है, तहसीलदारों को स्मार्ट फोन के जरिए आकलन रिपोर्ट भेजने की सुविधा मुहैया कराने की व्यवस्था होगी
अंतत: मोदी सरकार द्वारा चलायी जा रही प्रधानमंत्री फसल बिमा योजना की सफलता से किसानों को राहत तो मिलेगी ही और किसानो में खेती को लेकर उत्साह भी बढ़ेगा ।वहीं प्रीमियम राशि कम होने के कारण मंझोले किसान भी अपनी फसलों का बीमा कराने को उत्सुक होंगे।इतना ही नही किसानो का खेती से होता मोहभंग और शहरों की ओर होते पलायन पर भी काफी हद तक विराम लगेगा।

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