Monday 21 December 2015

मोक्षदा एकादशी एवं गीता जयंती महात्म्य


संदीप कुमार मिश्र : धर्म और आस्था का देश भारत।जहां तीज,त्योहार,व्रत का विशेष, महत्व है।सनातन संस्कृति की पहचान ही हमारे देश की पहचान है। दोस्तों मोक्षदा एकादशी का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रहने का हमारे शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है।

ऐसा पद्म पुराण में बताया गया है क‌ि मार्गशीर्ष मास की शुक्लपक्ष की एकादशी के द‌िन इस संसार का कोई भी प्राणी भक्त‌ि भाव और श्रद्धापूर्वक जगत के पालन हार भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्‍ण का ध्यान करते हुए एकादशी का व्रत रहता है उसके सभी पाप कट जाते हैं और पुण्य की प्राप्ती असंख्य गुणा बढ़ जाती है।

एकादशी का व्रत रहने से मोक्ष की प्राप्ती का मार्ग प्रशस्त होता है।इसीलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जानी जाती है।कहते हैं धर्मराज युध‌‌िष्ठ‌िर जी को इस एकादशी के महात्म्य का बखान करते हुए स्वयं भगवान कृष्ण कहते हैं कि- वैखानस नाम के एक राजा के राज्य में प्रजा सुखी और शांति से रहती थी। जब एक रात राजा ने स्वप्न में देखा कि उनके पिता नर्क में यातनाएं भोग रहे हैं।तो राजा को अपने पिता की ये दशा देखकर रहा नहीं गया,जिसके बाद राजा पर्वत ऋषि के पास गए और अपनी व्यथा से उन्हें अवगत कराया।ध्यान मग्न होने के बाद महान तपस्वी ऋषी महाराज ने देका कि सच में राजा के पिता नर्क की यातनाएं सह रहे हैं।
जिसके बाद ऋषी ने राजा को मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखने को कहा और व्रत का पुण्य प‌िता को देने को कहा।जब राजा ने ऐसा किया तो एक दिन सपने में राजा को अपने पिता के दर्शन हुए और उन्होंने कहा कि नर्क की यातनाओं से उन्हे छुटकारा मिल गया।

मित्रों मोक्षदा एकादशी के द‌िन ही कुरुक्षेत्र के महासंग्राम में भगवान श्रीकृष्‍ण ने  धनुरधारी अर्जुन को गीता का ज्ञान द‌िया था। इसल‌िए इस एकादशी के दिन भग्वद्गीता का पाठ जरूर करने का विशेष महत्व है,इस त‌िथ‌ि को गीता जंयती के रुप में भी मनाया जाता है।मोक्षदा एकादशी को दक्षिण भारत में वैकुण्ठ एकादशी के रूप में पूजा जाता है।

मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयन्ती होने से श्रीमदभगवद गीता की सुगन्धित फूलों द्वारा पूजा करनी चाहिए साथ ही गीता का पाठ करना चाहिए। विधिविधान से गीता व भगवान विष्णु की पूजा करने पर यथा शक्ति दानादि करने से पापों से मुक्ति मिलती है और उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। गीता जयंती के दिन भगवान श्री विष्णु जी का पूजन करने से उपवासक को आत्मिक शांति व ज्ञान की प्राप्ति होने के साथ ही मोक्ष की प्राप्ती होती है।

मोक्षदा एकादशी को भगवान श्री कृष्ण का पूजन कर व्रत रखने का विधान है इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ग्रह शांति के लिए इस व्रत को करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। घर पर आए संकटों के बादल छंट जाते हैं और स्थायी रुप से लक्ष्मी का निवास होता है।

मित्रों आज के दिन सुख प्राप्ति के लिए आप भगवान श्री हरि विष्णु के तस्वीर पर सिंदूर चढ़ाएं। धन प्राप्ति के लिए भगवान श्री विष्णु के तस्वीर पर कमल गट्टा चढ़ाना चाहिए। व्यवसायिक सफलता के लिए श्री कृष्ण पर नीले फूल चढ़ाएं। लाभ प्रप्ति के लिए श्री नारायण पर लोहबान से धूप करें। हानि से बचने के लिए भगवान विष्णु के चित्र पर पीले फूल चढ़ाएं। वहीं घर में सुख शांती पाने के लिए भगवान के बाल स्वरुप को दही का भोग लगाना चाहिए।साथ ही रोग और शोक से मुक्ति पाने के लिए श्री हरि पर मूंग चढ़ाएं। सुखी दांपत्य जीवन पाने के लिए भगवान लक्ष्मी-नारायण पर अबीर-गुलाल चढ़ाने चाहिए।किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचने के लिए भगवान बांके बिहारी पर लाल चंदन व सौभाग्य प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के चित्र पर हल्दी चढ़ाने चाहिए।

अंतत: मित्रों श्रीमद् भागवत गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है।दरअसल मानविय स्वभाव है कि किसी भी कार्य का परिणाम हम तुरंत चाहते हैं,लेकिन गीता में भगवान श्रीकृष्ण हमें धैर्य रहने की सीख देते हैं।क्योंकि धैर्य से मोह,अज्ञान,दुख क्रोध,काम और लोभ से हमें निजात मिलती है।साथियों गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं कलयूग में हमारी जीवन धारा है,जिसे जीवन में आत्मसात करने से सत्संग,और मोक्ष की प्राप्ती बड़े ही आसानी से हो जाती है।



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