Tuesday 29 December 2015

हरिद्वार : धर्म और दर्शन की नगरी


संदीप कुमार मिश्र : भारत देवों की नगरी है, धर्म यहां के लोगों की रगों में लहू बनकर दौड़ता है। आस्था और श्रद्धा की हर पल बहती बयार, भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की अहम पहचान है।हरिद्वार, देश की वो धार्मिक नगरी , जिसकी यात्रा इंसानी जिंदगी को पावन बना देती है। हरिद्वार, हिन्दूओं के लिए सदियों से आस्था और श्रद्धा का अहम तीर्थ रहा है।शिवालिक की तराई में मौजूद ये शहर, भक्त और भगवान के बीच बेहद मजबूत कड़ी के रूप में मौजूद है।हरिद्वार गंगोत्री से निकलने वाली मां गंगा का प्रवेश द्वार है, इसके अलावा इस शहर को भारत की धार्मिक राजधानी होने का गौरव भी हासिल है।

हरि के द्वार हरिद्वार में अंधेरे को चीरती हुई सूरज की पहली किरणें, जब रौशनी बिखेरती हैं, तो यहां महज एक नए दिन का आगाज नहीं होता, बल्कि हरिद्वार की हर नई सुबह आस्था और श्रद्धा की नई ऊर्जा को उजियार करती है।भक्ति यहां की वादियों में भाव बनकर बहती है और आस्था स्वभाव।उपरवाले की महिमा को महसूस करने की आस, लाखों लोगों के लिए उस वक्त एहसास बन जाता है, जब वो हरिद्वार की पावन भूमि पर कदम रखते हैं।ये हरिद्वार की पुण्य भूमि का ही असर है कि रूप यहां पल भर में स्वरूप में तब्दील हो जाता है।वरना इंसान की क्या बिसात कि इस देवनगरी में कदम रखते ही उसे भक्त का दर्जा मिल जाए। हरिद्वार का नजारा अद्भुत, अलौकिक व अविस्मरणीय है। देवभूमि उत्तराखंड में स्थित हरिद्वार भारत के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में एक है।

अनादिकाल से ही हरिद्वार को मायापुरी, कपिला, गंगाद्वार और हरिदर्शन जैसे धार्मिक नामों से जाना जाता रहा है।इसके अलावा पूरे हरिद्वार में सिद्धपीठ, शक्तिपीठ और अनेक नए पुराने मंदिर शहर के वातावरण में धर्म और आस्था की खुशबु घोलते हैं। देवनगरी हरिद्वार जिस अहम वजह से पूरे भारतवासियों के दिल में आस्था बनकर धड़कती है, वो हैं मां गंगा।हरिद्वार में बहने वाली पवित्र गंगा की महिमा इतनी अपार है कि, इसके पावन जल के स्पर्श मात्र से ही जीवन धन्य हो जाता है।यह सर्वमान्य है कि युगों पूर्व भगीरथ गंगा की धारा को धरती पर लाये थे। भगीरथ गंगा की धारा को हिमालय के जिस मार्ग से लेकर मैदान में आए वह मार्ग जीवनदायिनी दिव्य औषधियों व वनस्पतियों से भरा हुआ था।इस कारण भी गंगाजल को अमृत तुल्य माना जाता है।धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा का अपना विशेष आध्यात्मिक महत्व है।सबसे पहले मां गंगा जहां हिमालय के शिखर से उतरती है वह स्थान गंगा महाद्वार कहलाता है और मां गंगा जहां पर्वत मालाओं से निकलकर समतल मैदान में आती है उसे गंगाद्वार कहते हैं। इसी गंगाद्वार को हरिद्वार के नाम से जाना जाता है।

मां गंगा के हरिद्वार तक आते-आते भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा की धारा एक हो जाती हैं। इसके अलावा यहां आते-आते कई अन्य जल स्रोत भी मां गंगा की गोद में समा जाते हैं।जिसके बाद प्रयाग और काशी होती हुई गंगा मईया की पावन धारा बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं।ये देवतुल्य नदी हम भारतीयों के लिए सिर्फ नदी नही है..बल्कि, हमारी आस्था,हमारे जीवन का आधार और संस्कृति की पहचान है।यही वजह है, कि मां गंगा के किनारे बसा हरिद्वार तीर्थों में भक्तों का अहम पड़ाव है।यहां होने वाली मां गंगा की आरती अद्भूत है।मन भक्ति भाव से भर जाता है।
कहते हैं भूखे पेट भजन न होय गोपाला, और जब आप हरिद्वार की पावन धरती हों तो, ये मुमकिन नहीं आपका पेट खाली रह जाए।क्योंकि यहां खाने पीने तमाम ऐसे विकल्प मौजूद हैं जो आपकी धार्मिक यात्रा को आनंद से भर देंगे।यही नहीं हरिद्वार में रहने और इस पावन नगरी में पहुंचने की चिंता भी आप अपने जेहन से निकाल दें।परंपरागत खाने के शौकीनों के लिए भी हरिद्वार कई विकल्प है।यहां कई रेस्तंरा है। जहां श्रद्धालु शाकाहारी खाने का आनंद उठा सकते हैं।हरिद्वार में सिर्फ शाकाहारी खाना ही मिल पाता है।मांसाहारी खाना हरिद्वार में वर्जित है।चोटीवाला रेस्टोरेंट यहां का काफी मशहुर रेस्तंरा है।कई दशकों से ये रेस्तंरा श्रद्धालुओं की पसंद बना हुआ है।

अगर आप खरीददारी के शौकीन हैं तो हरिद्वार में इसका लुत्फ उठाया जा सकता है।यहां के बाजारों में भी धार्मिकता का असर साफ दिखाई देता है।हर की पौड़ी के नजदीक स्थित दुकानों में पूजा-पाठ के समान से लेकर रंग-बिरंगी चुड़ियां, लहठी, मालाएं, तो मिलती हीं है।धार्मिक साहित्य प्रेमियों की जिज्ञासा भी यहां आकर पूरी हो जाती है।

देवनगरी हरिद्वार पहुंचने के लिए वायुमार्ग, रेलमार्ग और सड़क मार्ग तीनों की ही बेहतर सुविधा मौजूद है।देहरादून का जौली ग्रांन्ट एयरपोर्ट यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। हरिद्वार से एयरपोर्ट की दूरी लगभग 45 किमी है। एयरपोर्ट से हरिद्वार के लिए बस या टैक्सी की सेवाएं हर पल मौजूद है।हरिद्वार रेलमार्ग से भी देश के अधिकांश हिस्सों से जुडा है।इसके अलावा हरिद्वार का देश के कई अहम राज्यों से सीधा संपर्क है।देश की राजधानी दिल्ली से यहां रोजाना बसे खुलती हैं।इसके अलावा राज्य परिवहन की बसे भी हरिद्वार के लिए अपनी सेवाएं महैया कराती हैं।यहां आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने की भी पर्याप्त सुविधाएं हैं।हरिद्वार में करीब 500 से ज्यादा धर्मशालाएं हैं, जहां कम पैसों में बेहतर सुविधाएं मिलती हैं।वही हरिद्वार में होटलों के अलावा सरकारी गेस्टहाउसेज भी बने हुए हैं।हरिद्वार की यात्रा करने वाला व्यक्ति जीवन के सत्य से रुबरु हो जाता है।पावन गंगा में डुबकी के साथ प्राचीन मंदिरों के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए यादगार पल बन जाते हैं।यही कारण है, कि यहां जो भी आता है, उत्साह से भरा होता है और लौटता है, प्रकृति की अनुपम निधि और भगवद् भक्ति से सराबोर होकर।

अंतत: दोस्तों धर्म नगरी हरिद्वार की महिमा इतनी अपरंपार है कि यहां आने का सौभ्गय जिसे भी मिल जाए,उसका जीवन धन्य हो जाता है।

हरि के द्वार यानि हरिद्वार के बारे में कुछ और भी रोचक और पौराणिक जानकारी अगले लेख में...।

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