Tuesday 1 December 2015

मोदी-शरीफ मुलाकात : संयोग या कूटनीति...?


संदीप कुमार मिश्र : कहते हैं दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते रहिए।दुश्मन से भी मौके बेमौके हाथ मिलाने में भी कोई हर्ज नहीं है। वो इसलिए कि शायद पड़ोसी में भी मानवता जाग जाए और इंसानियत और मानवता के दुश्मनो को समूल नष्ट करने के लिए एक साथ कदम से कदम मिलाकर एक नई मिसाल पेश करें।खैर हम बात मोदी और शरीफ मुलाकात की कर रहे हैं।खासकर इस मुलाकात का पेरिस में होना भी खास महत्वपूर्ण है, क्योंकि पेरिस अभी-अभी आतंकवाद का शिकार हुआ है।जबकि इससे पहले मोदी साब और जनाब शरीफ की मुलाकात जुलाई में ऊफा में हुई थी, फिर न्यूर्याक में दोनों ने केवल हाथ हिलाकर ही एक-दूसरे का अभिवादन किया था। लेकिन सबसे बड़ा सवाल सही है कि क्या इससे भारत-पाकिस्तान संबंधों पर जमी हुई बर्फ पिघलेगी ?
अब साब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब विदेश दौरे पर हैं तो इसकी हर दृष्टीकोण से पड़ताल भी जारी है। होनी भी चाहिए जो कि स्वाभाविक है। पेरिस दौरे में मोदी से नवाज शरीफ की मुलाकात कितना अहम है, इस पर एक गंभीर परख की जरूरत है।मोदी शरीफ मुलाकात बेहद छोटी रही लेकिन इसके मायने विस्व के सभी अकबारों की सुर्खीयां बनी,पहल अच्छी थी,बात होनी भी चाहिए,यहां तक की यूएन प्रमुख बान की मून ने भी मोदी की तारीफ की और पाकिस्तानी मीडिया ने इस खबर को कास तवज्जो दी..।
लेकिन यक्ष प्रश्न अब भी वही है कि नवाज शरीफ की मुस्कान का क्या मतलब निकाला जाए..? क्योंकि पेरिस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नवाज शरीफ की गर्मजोशी से हुई मुलाकात के अर्थ तो निकाले ही जाएंगे। दरअसल न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान दोनो नेता एक ही होटल में ठहरने के बावजूद अनौपचारिक रुप से भी नहीं मिले थे ।वहीं संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में दूर से ही हाथ हिलाकर एक दूसरे का अभिवादन किया था।इस मुलाकात में नवाज की शराफत पर इसलिए भी यकीन करना संभव नहीं हो पा रहा है क्योंकि जब उफा में तय पांच सूत्रीय समझौते के तहत दोनों देशों के बीच NSA स्तर की बातचीत होनी सुनिश्चित हुई । लेकिन पाकिस्तानी NSA  ने तीसरे पक्ष यानि हुर्रियत को भी इस वार्ता में शामिल करने की पेशकश कर सिर्फ आतंकवाद पर बात करने से इनकार कर दिया और आतंकवाद पर बातचीत पाकिस्तान की तरफ से नकार दी गई।
लेकिन पेरिस में अचानक और अकेले में हुई छोटी मुलाकात से दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक नया संदेश देने की कोशिश तो जरुर ही की है।इस मुलाकात के मायनो को थोड़ा आगे बढ़कर भविष्य की तरफ लेकर चलते हैं जब 2016 यानि अगले साल पाकिस्तान में सार्क समिट होने हैं,और इस समिट में स्वाभाविक तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की शिरकत पर सबकी निगाहें होंगी। कहीं ना कहीं दोनो देश ये चाहते भी होंगे कि पाकिस्तान में होने वाली मुलाकात से पहले दोनों देश आपसी भरोसा बहाली की दिशा में कुछ कदम आगे बढ़ाएं।क्योंकि अगर इसी तरह सीमा पर लगातार सीज़ फायर का उल्लंघन और आतंकी वारदातों पर लगाम नहीं लगी तो पिश्तों में फैली कड़वाहट कम होने की बजाय बढ़ सकती है।
आप को याद हो तो इस मुलाकात से चंद दिनों पहले ही नवाज शरीफ ने कहा था कि शांति और बेहतर रिश्ते के लिए पाकिस्तान...भारत के साथ बिना शर्त बातचीत करने के लिए तैयार हैं।कहना गलत नहीं होता कि प्रधानमंत्री मोदी, पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।जिसकी सराहना होनी ही चाहिए।लेकिन लोकतंत्र में विरोध भी होते हैं और होने भी चाहिए,हमारे देश में कोई उचीत कदम बता रहा है तो कोई आलोचना कर रहा है।अब साब तर्क और कुतर्क की चर्चा नहीं करुंगा,लेकिन हां प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से इस शानदार पहल पर कुतर्क करने वालों को वास्तविकता की जानकारी तो होनी ही चाहिए।ये भी समझना होगा कि हमारे देश भारत के लिए संबंधों की कड़वाहत को कम करने से क्या फायदा और नुकसान है,क्या लभ और हानि है।जल्दबाजी में किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया करना शायद थोड़ी जल्दबाजी होगी।जरा कल्पना किजिए कितना बेहतर होगा कि जो कार्य पिछले साठ सालों में नहीं हुआ वो नरेंद्र मोदी ने कर दिखाया,क्या आप और हम दोनो देशों के बेहतर रिश्ते बनाने  में मोदी की बड़ी भूमिका को नकारा पाएंगे...?
इतिहास साक्षी है कि हमारा पड़ोसी किसी भी सूरत में भरोसे लायक नहीं है लेकिन नरेंद्र मोदी इस बात को भलीभांति जानते हैं कि चाहे हालात कैसे भी हो पड़ोसी तो वही रहता है उसे कहीं और शिफ्ट नहीं किया जा सकता।चाहे जैसे भी हो संबंदों को बेहतर बनाने के प्रयास तो जारी रहने ही चाहिए क्योंकि यही भारतीय संस्कृति और धर्म है।

अंतत: निश्चिततौर पर हमें धैर्य रखना होगा क्योंकि नरेन्द्र मोदी की इस प्रकार की  कूटनीतियों से भारत के पुराने हो चुके सिद्धांतों को भी शक्ति मिलेगी। विश्व पटल पर भारत पश्चिम के मुकाबले पूरब को खड़ा करने में बड़ी कामयाबी मिलेगी।खैर इंतजार करना होगा और देखना होगा कि इस मुलाकात के क्या परिणाम निकलते हैं और क्या अर्थ लगाए जाते हैं...।।


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