Friday 25 December 2015

2015 में देश ने खोया भारत रत्न,मिसाइल मैन,पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम



संदीप कुमार मिश्र : साल 2015 जब अपने अंतिम पड़ाव पर है,तो तमाम तरह की घटनाएं सुर्खियों में रहेंगी।ऐसे में जिस महान शख्स को देश ने खोया है वो है पूर्व राष्‍ट्रपति और भारत रत्न डा. एपीजे अब्‍दुल कलाम आजाद साब। जिनका 2015 में निधन हो गया। आपको बता दें कि कलाम साब शिलांग के आईआईएम में एक लेक्‍चर देने के लिए गए थे।जब 83 साल के कलाम भाषण देने के दौरान वह बेहोश होकर गिर पड़े थे।कलाम साब के बेहोश होने के बाद उन्हें वहीं के एक अस्‍पताल में 7 बजे भर्ती कराया गया था।कहा गया कि कलाम साब की ब्‍लड प्रेशर और दिल की धड़कन कम हो गई थी, जिस वजह से उन्‍हें आईसीयू में भर्ती करवाया गया।

मित्रों आपको याद होगा कि 18 जुलाई, 2002 को मिसाइल मैन कलाम साब को प्रचंड बहुमत से 'भारत का राष्ट्रपति' चुना गया था और उन्होंने 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।उस वक्त देश में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी।कलाम साब का कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। हमारे देश के अब तक के सबसे लोकप्रिय और चहेते राष्ट्रपतियों में से एक डॉ. अबुल पाकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम साब ने तमिलनाडु के एक छोटे से समुद्री किनारे पर बसे शहर रामेश्वरम में अखबार बेचने से लेकर भारत जैसे विशाल देश के प्रथम नागरिक यानि राष्ट्रपति पद तक का लंबा सफर तय किया। महान वैज्ञानिक और इंजीनियर कलाम साब ने 2002 से 2007 तक देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में मनसा वाचा कर्मणा देश की लगातार सेवा की। मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध कलाम देश की प्रगति और विकास से जुड़े विचारों से भरे व्यक्ति थे।देस के सच्चे देशभक्त थे कलाम साब..।

साथियों 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्में कलाम साब पेशे से नाविक थे और उनके पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे।कहते हैं अपने पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पास पैसे कम पड़ जाते थे,जिस वजह से शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम साब को अखबार बेचने का काम किया करते थे।मात्र आठ वर्ष की छोटी उम्र से ही कलाम साब रोज सुबह 4 बचे उठते थे, और नहाकर गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे। सुबह नहाकर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे।कलाम साब जब ट्यूशन से वापस आते तो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर अखबार बांटते थे।

एयरोस्पेस टेक्नोलॉजीमें आने का श्रेय कलाम साब अपने पांचवी क्लास के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को देते हैं।कलाम साब कहा करते थे कि उनके गुरु द्वारा समझाई गई बातें उनके अंदर इस कदर समा गई कि उन्हें हमेशा महसूस होने लगा कि उनका करियर उड़ान की दिशा में ही है।जिसके बाद कलाम साब ने फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।

कलाम साब का पूरा जीवन देश को समर्पित था। जब 1962 में कलाम साब इसरो में पहुंचे तो उन्हें इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।देश के प्रति अपने समर्पण भाव को आगे बढ़ाते हुए कलाम साब ने क्रमश: स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। देश की रक्षा में मिल का पत्थर साबित करते हुए कलाम साब नें अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं और दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया। 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे। इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। कलाम ने विजन 2020 दिया। इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई। कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।इस प्रकार से कलाम साब का हर एक कदम,सोच देश को समर्पित थी।

1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया। उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया। कलाम ने तब रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव तैयार किया। स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। इसके पहले चरण में जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर था। दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स) बनाने का प्रस्ताव था। पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए। कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया। सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया। इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई। ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है। इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

देश के विकास में कलाम साब की शानदार भूमिका और समर्पण के लिए ही उन्हें 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न का सम्मान प्रदान किया।आपको बता दें कि भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले डा. एपीजे अब्दुल कलाम साब देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले यह सम्मान सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन साब ने हासिल किया था।

अंतत: साल 2015 में देश ने एक ऐसी शख्सियत को खो दिया,जो सर्वप्रिय थे,लोकप्रिय थे, राष्ट्रभक्त थे।जिनके योगदान को देश कभी नहीं भूला सकता।एक मिसाइलमैन एक राष्ट्रपति और एक शिक्षक के साथ ही देश का सच्चा सेवक शायद ही देश को एक व्यक्ति में मिले। 



No comments:

Post a Comment