Monday 23 November 2015

गीत नया गाता हूं



क्या हार में क्या जीत में,किंचित न हो भयभीत हो।
कर्तव्य पर पर जो मिला,यह भी सही वह भी सही।।


संदीप कुमार मिश्र: मेरे प्रिय कवि,जननायक की कविता के कुछ अंश बरबर ही याद गए आज,सोचा आपके साथ भी शेयर करूं,क्योंकि जीवन पथ पर निरंतर आगे बढ़ने के लिए एक मार्गदर्शक का निर्देश चाहिए,और मेरे लिए लिए मेरे महान कवि की कविताएं ही प्रेरणादायक हैं,साथ ही हर कठिनाईयों में ,परेशानियों में मेरा मार्गदर्शन करती हैं उनकी कविताएं...जिसे मैं ही नही,मेरे देश के समस्त लोग आदर्णीय मानते हैं,जिनके कोमल मन में जात-पात,धर्म,मजहब,इमान सब कुछ सिर्फ राष्टभक्ति ही है।  

गीत नया गाता हूं....।।
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर,
पत्थर की छाती में उग आया नया अंकुर,
झरे सब पीले पात,कोयल की कुहुक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं.
गीत नया गाता हूं...।।
टूटे हुए सपनो की कौन सुने सीसकी,
अन्तर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी,
हार नही मानूंगा,रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखया और मिटाता हूं...
गीत नया गाता हूं....।।

(महान कवि,पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता के अंश,)


No comments:

Post a Comment