Sunday 29 November 2015

बिग बॉस या बकवास बॉस का घर...?


संदीप कुमार मिश्र: दोस्तों क्या बिग बॉस का ये सीजन आपको पसंद आ रहा है..? क्या आपको एसा नहीं लग रहा है कि इस बार के सभी प्रतिभागी अव्वल दर्जे के बकवास हैं..?क्या ऐसा नहीं लगता कि बिग बॉस में अब खानापूर्ती हो रही है..? क्या अब बिग बॉस ऊंची दुकान फीकी पकवान वाली कहावत को ही आगे बढ़ा रहा है...?
अब भई हम आप बिग बॉस क्यों देखते हैं...? मनोरंजन के लिए ही ना...।लेकिन क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि इस बार का ये सीजन मनोरंजन की जगह पर अश्लिलता परोस रहा है।जितने भी सदस्य बिग बॉस के घर में है उनके द्वारा की जाने वाली गंदी हरकतें और शो के प्रति उनकी बेवफाई नाकाबिले बर्दास्त है..?या फिर सब टीआरपी का फंड़ा है...?

खैर ऐसे भी बिग बॉस का विवादों से चोली दामन का संबंध रहा है,लेकिन इस बार तो खास तौर पर लगता है कि कास्टिंग डायरेक्टर ने सही लोगो का चयन ही नहीं किया है।और यही वजह है कि इस बार का बिग बॉस अपनी गंदी बातों की वजह से बहुत ज्यादा नाकाबिले बर्दाश्त हो गया है।
अब आप ही सोचिए कैसा भी टास्क चल रहा हो,इसका मतलब क्या कि पैंट में ही लधुशंका कर दिया जाएगा और तो और प्रताड़ित करने के लिए लधुशंका का खेल खेला जा रहा है।इतना ही नही लघुशंका एक-दूसरे पर फेंका भी जा सकता है।अब शो में किश्वर और प्रिया लघुशंका(सू सू) से खूब खेलीं।जरा सोचिए कि इसे आप क्या कहेंगे,ये कौन सा खेल,जिसे नेशनल चैनल पर खुलेआम दिखाया जा रहा है।वहीं खाने में थूकना कौन सा खेल है,गेम ही सही लेकिन ऐसा गंदा गेम खेलने की क्या जरुरत।खैर ऐसे प्रतियोगियों की सलमान खान ने अच्ची क्लास ली। लेकिन क्या ये भी कोई खेल है।

जरा सोचिए कि अगर खेल में दिलचस्पी नहीं है और आप ठीक से नहीं खेल सकते तो पागल कुत्ते ने काटा था कि खेल में आप आएं,इससे तो सिर्फ बिग बॉस के सदस्यों की दुषित मानसीकता ही सामने आती है।अब रिमी सेन को ही लिजिए जो शो में खुद को इस तरह से प्रतुत कर रही हैं जैसे दर्शकों पर एहसान कर रही हों, और उन्हें वोट देने वाले लोग उन्हें शो में रखकर खुद अपने आप पर एहसान कर रहे हैं।उधर दिगंगना जी हैं जिन्हें शो में आने से पहले ये पता ही नहीं था कि वो सिर्फ 18 साल की हैं।भई तो वे शो में आई ही क्यों..? नन्हीं बच्ची और गुडिया बनकर तो आप घर पर ही रह सकती थी। बिग बॉस के सभी सदस्य जमकर हिंदी की जगह अंग्रेजी का इस्तेमाल कर रहे हैं।हिंदी भी ऐसी बोल रहे हैं कि जैसे हिंदी पर एहसान कर रहे हो।अब तो बिग बॉस के सदस्य मनोरंजन से मोह भंग करवा रहे हैं।

कहना गलत नहीं होगा कि बिग बॉस से जहां स्वस्थ मनोरंजन की उम्मीद की जाती थी वो अब उतना ही बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है। घर का शायद ही कोई ऐसा सदस्य हो जो दर्शकों को बांध कर रखने में कामयाब हो सके।इस पुरे शो में कोई आत्ममोह (प्रिंस, रिषभ)का शिकार है, तो कोई जानता है कि लड़कर ही (मंदाना)गुजारा हो सकता है, सीखा-सिखाया खिलाड़ी (प्रिया), ये कहां आ गए हम (दिगंगगना और रिमी) और पेड हनीमून (किशवर-सुयश) पर आया हुआ है।


अंतत: भाईयों हो सकता है कुछ लोगो को ये शो अच्छा भी लगता हो।लेकिन कम से कम मेरी नजर में इसे स्वस्थ मनोरंजन नहीं कहा जा सकता,जिसे आप सपरिवार बैठकर घर में देख सकें,माना की शो में जीतने के लिए साम दाम दंड भेद की जरुरत होती है लेकिन फिर स्तर और मर्यादा का ख्याल तो रखना ही चाहिए क्योंकि देश देख रहा है।लिखने की जरुरत भी तभी पड़ी की अब तक जितनी भी प्रतिक्रिया मिली, हर किसी में नकारात्मकता ही नजर आयी।खैर ख्याल रखें आप भी और बिग बास के आका भी जो इस शो को संचालित कर रहे हैं,क्योंकि जरुरी है अश्लिलता परोसने की बजाय आप मनोरंजन का व्यापार करें....। 

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