Monday 23 November 2015

व्यक्तित्व


संदीप कुमार मिश्र:  व्यक्तित्व ! एक भारी भरकम शब्द । आखिर व्यक्तित्व है क्या...? इसका हमारे मानवीय जीवन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप में क्या प्रभाव पड़ता है...? ये कुछ ऐसे छुए,अनछुए पहलु हैं जो हमें बनाते हैं और भी बेहतर।
व्यक्तित्व इन्सान के गुणों-दुर्गुणों का सिर्फ आईना ना होकर हमारे जीव के सभी सफलताओं की जड़ भी होता है। ईष्या,अभिमान,क्रोध,बिना विचार किए किसी पर चिखना-चिल्लाना व्यक्तित्व नहीं हो सकता। व्यक्तित्व को समझने और परखने के लिए जरुरू है कि हम अपना...अपनी क्षमता का मुल्यांकन स्वयं करें। हम जिस किसी भी कार्य को करते हैं,उस कार्य के प्रति हमारी लगन और निष्ठा कितनी है...? हमारी भावनाओं और संवेदनशीलता का स्तर क्या है..? और हमारे अन्दर मानवीय और नैतिक मुल्य कितने हैं।
ये कुछ ऐसे अहम और महत्वपूर्ण पहलू हैं,जिनके आधार पर हम अपने व्यक्तित्व का बेहतर मुल्यांकन शायद कर सकते हैं..और करना भी चाहिए..।

कहते हैं जिस व्यक्ति का IQ यानि इंटेलिजेंस कोशिएन्टजितना ज्यादा बढ़ा होता है तो वो उतना ही बुद्धिमान और प्रतिभाशाली माना जाता है,लेकिन  जब हम व्यक्तित्व की बात करते हैं तो हममे IQ से भी ज्यादा बहुत कुछ जानने और समझने की आवश्यकता और जरुरत होती है।ये जरुरू नहीं कि उच्चतम अंक पाकर सर्वोच्च होने वाला व्यक्ति अन्य विषयों में भी सर्वोत्तम हो।जिस प्रकार एक छात्र किताबी किड़ा तो हो सकता है लेकिन जरुरी नहीं की उसका व्यवहारीक ज्ञान भी उतना ही अच्छा हो...।

आज व्यक्ति बुद्धिमान भी है और समझदार भी।लेकिन अपने कार्य के प्रति वो कितना निष्ठावान है,वो अपना कार्य कितनी लगन से करता है।ये सू कुछ निर्भर करता है उसके अपने समर्पण और सुझबुझ पर। हमें जितना अपने कार्य के प्रति समर्पीत होना चाहिए,उतना ही समाज और परिवार के प्रति भी।बाधाओं से संधर्ष करना,मुसीबतों में विचलीत ना होना,सम और विषम परिस्थितीयों में भी धैर्य और विवेक से कार्य करने को हम बेहतर व्यक्तित्व कह सकते हैं।

अक्सर ऐसा देखा गया है कि किसी बात को लेकर हम घबरा जाते हैं,और हमारे मुख से बरबर ही निकल जाता है कि-अब क्या करें...? इसी प्रकार के विचार हमारे व्यक्तित्व को कम कर देते हैं,लेकिन जिस व्यक्ति को अपनी आत्म शक्ति पर भरोसा होता है,वो कोई भी कार्य स्वयं अपनी सुझबुझ और विवेक से हल कर लेता है।


यकीन मानिए दोस्तों आपसे सुंदर...आपसे योग्य...आपसे से सर्वोत्म कोई दुसरा नहीं। जरुरत सिर्फ इतनी है  कि हम स्वयं के  अन्तर्मन में झांक कर देखें,जिसमें वो सब कुछ है जो आपके व्यक्तित्व को नई दशा और बेहतर दिशा दोनो देगा...।। 

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